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प्रतिरक्षा प्रणाली क्या है और एचआईवी इसका कैसे प्रभाव डालता है?

प्रतिरक्षा प्रणाली क्या है?

प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) हमारे शरीर की वह जटिल और अद्भुत व्यवस्था है जो हमें बीमारियों और संक्रमणों से बचाती है। यह कोशिकाओं, ऊतकों और अंगों का एक नेटवर्क है जो एक साथ काम करते हैं ताकि शरीर को “बाहरी हमलावरों” जैसे बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी और कवक से बचाया जा सके। जब कोई हानिकारक रोगाणु शरीर में प्रवेश करता है, तो प्रतिरक्षा प्रणाली उसे पहचानती है और उसे नष्ट करने या बेअसर करने के लिए सक्रिय हो जाती है।

प्रतिरक्षा प्रणाली के मुख्य घटकों में श्वेत रक्त कोशिकाएं (जैसे टी-कोशिकाएं और बी-कोशिकाएं), एंटीबॉडीज, अस्थि मज्जा (बोन मैरो), थाइमस ग्रंथि, प्लीहा (स्प्लीन), टॉन्सिल और लिम्फ नोड्स शामिल हैं। बी-कोशिकाएं एंटीबॉडीज बनाती हैं, जो विशेष प्रोटीन होते हैं जो रोगाणुओं को पहचान कर उनसे जुड़ जाते हैं, जिससे उन्हें नष्ट करना आसान हो जाता है। टी-कोशिकाएं सीधे संक्रमित कोशिकाओं को मार सकती हैं या प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को विनियमित करने में मदद कर सकती हैं। यह सब मिलकर शरीर को स्वस्थ रखने और बीमारियों से लड़ने में मदद करता है।

एचआईवी प्रतिरक्षा प्रणाली को कैसे प्रभावित करता है?

एचआईवी (मानव इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस) एक ऐसा वायरस है जो सीधे हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला करता है, खासकर CD4 कोशिकाओं (जिन्हें टी-कोशिकाएं भी कहा जाता है) को लक्षित करता है। ये CD4 कोशिकाएं प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण होती हैं क्योंकि वे शरीर को संक्रमणों और बीमारियों से लड़ने में मदद करती हैं।

जब एचआईवी शरीर में प्रवेश करता है, तो यह CD4 कोशिकाओं में घुस जाता है और अपनी कई प्रतियां बनाना शुरू कर देता है। इस प्रक्रिया में, यह CD4 कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। समय के साथ, शरीर में CD4 कोशिकाओं की संख्या लगातार घटती जाती है। जैसे-जैसे CD4 कोशिकाओं की संख्या कम होती है, प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती जाती है।

यह कमजोरी शरीर को सामान्य संक्रमणों और बीमारियों से लड़ने में अक्षम बना देती है, जिन्हें एक स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली आसानी से नियंत्रित कर लेती है। इन संक्रमणों को “अवसरवादी संक्रमण” (Opportunistic Infections) कहा जाता है क्योंकि वे एक कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली का लाभ उठाते हैं। उदाहरण के लिए, टीबी, निमोनिया, कवक संक्रमण और कुछ प्रकार के कैंसर एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों में अधिक आसानी से होते हैं।

एचआईवी संक्रमण के तीन मुख्य चरण होते हैं?

  1. तीव्र एचआईवी संक्रमण: यह प्रारंभिक चरण है जहां व्यक्ति को फ्लू जैसे लक्षण (बुखार, गले में खराश, थकान) हो सकते हैं। इस दौरान वायरस तेजी से फैलता है।
  2. क्रोनिक एचआईवी संक्रमण: यह लंबा चरण हो सकता है जहां व्यक्ति को कोई खास लक्षण महसूस नहीं होते। हालांकि, वायरस CD4 कोशिकाओं को लगातार नष्ट करता रहता है।
  3. एड्स (एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम): यह एचआईवी संक्रमण का अंतिम और सबसे गंभीर चरण है। इस बिंदु पर, प्रतिरक्षा प्रणाली इतनी कमजोर हो जाती है कि व्यक्ति को गंभीर और जानलेवा अवसरवादी संक्रमण होने लगते हैं। एड्स से पीड़ित व्यक्ति को कई तरह की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

संक्षेप में, एचआईवी प्रतिरक्षा प्रणाली की रीढ़, CD4 कोशिकाओं को नष्ट करके उसे कमजोर कर देता है, जिससे शरीर बाहरी आक्रमणकारियों के खिलाफ अपनी सुरक्षा खो देता है और विभिन्न बीमारियों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो जाता है।

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