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एचआईवी और एड्स के बीच का अंतर?

एचआईवी और एड्स दो शब्द हैं जिनका उपयोग अक्सर एक साथ किया जाता है, लेकिन वे एक ही चीज़ नहीं हैं। इनके बीच के अंतर को समझना सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। सरल शब्दों में कहें तो एचआईवी एक वायरस है, जबकि एड्स उस वायरस के कारण होने वाली बीमारी का एक उन्नत चरण है।

एचआईवी (HIV) क्या है?

एचआईवी का पूरा नाम ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (Human Immunodeficiency Virus) है। यह एक ऐसा वायरस है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) पर हमला करता है। प्रतिरक्षा प्रणाली हमारे शरीर को संक्रमणों और बीमारियों से लड़ने में मदद करती है। एचआईवी विशेष रूप से प्रतिरक्षा प्रणाली की सीडी4 कोशिकाओं (CD4 cells), जिन्हें टी-कोशिकाएं भी कहा जाता है, को निशाना बनाता है और उन्हें नष्ट कर देता है। ये कोशिकाएं प्रतिरक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

जब एचआईवी शरीर में प्रवेश करता है, तो यह धीरे-धीरे सीडी4 कोशिकाओं की संख्या को कम करता जाता है। जैसे-जैसे ये कोशिकाएं कम होती जाती हैं, प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती जाती है। इसका मतलब है कि शरीर को आम संक्रमणों और कुछ प्रकार के कैंसर से लड़ने में मुश्किल होती है, जिनसे एक स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली वाला व्यक्ति आसानी से लड़ सकता है।

एचआईवी का संचरण (फैलना) मुख्य रूप से कुछ शारीरिक तरल पदार्थों के माध्यम से होता है, जिनमें शामिल हैं:

  • रक्त (Blood)
  • वीर्य (Semen)
  • योनि द्रव (Vaginal fluids)
  • गुदा द्रव (Anal fluids)
  • स्तन का दूध (Breast milk)

यह आमतौर पर असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित सुइयों या सीरिंज को साझा करने, गर्भावस्था, प्रसव या स्तनपान के दौरान मां से बच्चे में, या संक्रमित रक्त आधान (हालांकि यह अब बहुत दुर्लभ है) के माध्यम से फैलता है।

एड्स (AIDS) क्या है?

एड्स का पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम (Acquired Immuno Deficiency Syndrome) है। यह एचआईवी संक्रमण का सबसे उन्नत और गंभीर चरण है। एड्स का निदान तब किया जाता है जब एचआईवी संक्रमण ने प्रतिरक्षा प्रणाली को इतना नुकसान पहुँचाया होता है कि शरीर अवसरवादी संक्रमणों (Opportunistic Infections) और कुछ कैंसर के प्रति बहुत कमजोर हो जाता है।

एक व्यक्ति को एड्स हो गया है, ऐसा तब माना जाता है जब:

  • उसकी सीडी4 कोशिकाओं की संख्या एक निश्चित स्तर (आमतौर पर 200 कोशिकाएं प्रति घन मिलीमीटर रक्त) से नीचे गिर जाती है।
  • उसे एचआईवी से संबंधित कुछ गंभीर अवसरवादी संक्रमण या कैंसर हो जाते हैं, भले ही उनकी सीडी4 कोशिकाओं की संख्या कितनी भी हो। ये संक्रमण उन सूक्ष्मजीवों के कारण होते हैं जो आमतौर पर एक स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्ति में बीमारी का कारण नहीं बनते। उदाहरण के लिए, न्यूमोसिस्टिस निमोनिया (एक प्रकार का फेफड़ों का संक्रमण), कपोसी सार्कोमा (एक प्रकार का कैंसर), या टीबी।

एचआईवी और एड्स के बीच मुख्य अंतर:

  1. एचआईवी एक वायरस है, एड्स एक सिंड्रोम (बीमारी का चरण) है।
    • एचआईवी वह कारक है जो बीमारी का कारण बनता है।
    • एड्स उस बीमारी का परिणाम है जब एचआईवी प्रतिरक्षा प्रणाली को पूरी तरह से नष्ट कर देता है।
  2. एचआईवी पॉजिटिव होने का मतलब एड्स होना नहीं है।
    • एचआईवी पॉजिटिव होने का मतलब है कि आपके शरीर में वायरस मौजूद है।
    • एड्स का मतलब है कि एचआईवी संक्रमण एक गंभीर चरण तक पहुंच गया है और प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो गई है, जिससे अवसरवादी संक्रमणों का खतरा बढ़ गया है।
  3. एचआईवी के साथ व्यक्ति बिना एड्स के वर्षों तक जीवित रह सकता है।
    • उचित एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (ART) के साथ, एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति कई सालों तक एड्स के चरण तक पहुंचने के बिना स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। एआरटी वायरस को दबा देता है, जिससे सीडी4 कोशिकाओं की संख्या बनी रहती है और प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत रहती है।
    • बिना उपचार के, एचआईवी धीरे-धीरे एड्स में बदल जाता है।
  4. एड्स एक जानलेवा स्थिति है, जबकि एचआईवी नहीं।
    • एड्स के चरण में, प्रतिरक्षा प्रणाली इतनी कमजोर हो जाती है कि शरीर गंभीर बीमारियों से लड़ नहीं पाता, जो अंततः जानलेवा हो सकती हैं।
    • एचआईवी स्वयं सीधे तौर पर जानलेवा नहीं है; यह सिर्फ प्रतिरक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचाता है। मृत्यु अक्सर अवसरवादी संक्रमणों या कैंसर के कारण होती है जो कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण होते हैं।

निष्कर्ष:

संक्षेप में, एचआईवी एक वायरस है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को संक्रमित करता है। यदि इस संक्रमण का इलाज न किया जाए, तो यह प्रतिरक्षा प्रणाली को गंभीर रूप से कमजोर कर सकता है, जिससे एड्स नामक बीमारी का सबसे उन्नत और जीवन-धमकी देने वाला चरण होता है। आधुनिक चिकित्सा (एआरटी) ने एचआईवी पॉजिटिव व्यक्तियों के जीवन में क्रांति ला दी है, जिससे वे एड्स के चरण तक पहुंचे बिना लंबा और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।

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